Saturday, May 2, 2015

क्यों ठहर गया था.....

क्यों ठहर गया था
इस जीवन-पथ यात्रा में ,
वह असफलता थी मेरी
पराजय तो न थी ,
क्यों शिथिल, नीरव होकर
ठहर गया था ,
वह असफलता इतनी
भयावह भी तो न थी !

क्यों ठहर गया था
इस जीवन-पथ यात्रा मे,

क्यों वह मानसिक वेदना
कचोट रही थी ,
क्यों साहस विश्रिङ्खल था
छिन्न -पत्रों सदृश ,
क्यों वह तीक्ष्ण मार्मिक
प्रतिध्वनि साल रही थी !

क्यों ठहर गया था
इस जीवन-पथ यात्रा में,

क्यों उत्साह बटोही
बिसर गया था ,
जीवन-पथ की कठिन
कंटक राहों में ,
क्यों ठहर गया था
इस जीवन-पथ यात्रा में ,
वह असफलता थी
मेरी पराजय तो न थी!

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