Saturday, November 8, 2014

लिखुंगा तेरे बारे में ऐ ज़िंदगी……

सोचता हूँ लिखुंगा तेरे
बारे  में भी ऐ ज़िंदगी ,

संघर्षों की धूप में ,
सफलताओं की छांव में ,
असफल पीड़ा के रुप में ,
प्रयत्निक छाले भरे पांव में ,

सत्य स्वप्नों की अभिलाषा में ,
मानसिक शांति की पिपासा में ,

रम सा गया हूँ,
पर लिखुंगा तेरे बारे में भी.………

आशा के उजालों में ,
निराशा के अंधकार में ,
मंज़िलों के लंबे रस्तों  में ,
उम्मीदों से लदे बस्तों में ,

कर्तव्यों की तल्लीनता में ,
काल की विहीनता में,

थम सा गया हूँ ,
पर सोचता हूँ, एक दिन
लिखुंगा तेरे
बारे  में भी ऐ ज़िंदगी !!

Wednesday, November 5, 2014

ज़िंदगी का दरिया......

      ज़िंदगी का दरिया  ये जो
           बहता है,
       अक्सर ही मुझसे कुछ
           कहता है,

      इसके लफज़ों में  कुछ
           खास है,
      अपनेपन का वो हसीं
           एहसास है,
      
      तन्हाइयों की लहरें जब
          इन पर आती हैं,
      जज़्बातों को अपने संग
          बहा ले जाती हैं,

     उम्मीदों की आवाज़ें जब
        साहिलों तक जाती है,
      उन बातों , एह्सासों को
       गहराई तक पहुंचाती है,

    सपनों की रौशनी दरिये
      पर जो पड़ती है ,
    झिल्मिलाहट और चमक
      उसकी और बढ़ती है,

   मेरे इरादों के पत्थर अब
      टूट जाये
  ये मुमकिन नहीं लगता,
  दरिया ये चन्द नाकामियों
     से सूख जाये
  अब मुमकिन नहीं लगता ।।