Thursday, April 2, 2015

.......अपना अक्स खोजता हूं।

उन तन्हां पलों में कभी
ज़िंदगी को सोचता हूं,
तेरी उन प्यारी बातों में
अपना अक्स खोजता हूं,

लम्हा थम सा गया था
तेरे आने के बाद,
सब कुछ हासिल हो गया
तुझे पाने के बाद,

तेरे संग भीड़ में भी
खामोशी सी लगती थी,
वो रातें भी हसीं थीं
साथ मेरे जगती थीं,

मेरी चाहतें भी थीं ,
तेरा सुकूं भी था,
तेरी मुस्कुराहटें भी थीं,
मेरा जुनूं भी था,

तुम्हें याद तो होगी ना
वो पीपल की छांव,
वो खूबसूरत बारिशें,
हमारे सपनों का गांव,

तेरी यादों की किताबों संग
तेरी बाट जोहता हूं,
तेरी उन प्यारी बातों में
फ़िर अपना अक्स खोजता हूं !!