Tuesday, February 24, 2015

कुछ यूं कहूं………

कुछ यूं कहूं, सामने तुम्हारे
मेरे लफ़्ज नहीं निकलते,
ज़िंदगी की शाम यूं ही बीतती है,
तेरी यादों के लम्हों में ढलते,
आरजू तो बहुत कुछ कहने की है,
पर उन रस्तों पर कभी
तुम नही मिलती,
कभी हम नही मिलते !

No comments:

Post a Comment