Friday, October 17, 2014

ख्वाहिशों की बारिशें

ख्वाहिशों की बारिशों में भीग जाने  दो,
मस्तियों के सैलाबों में डूब जाने दो,

मुस्कुराहटो की लहरों को
ज़िंदगी  के शहर में आ जाने दो,
गमों का किनारा खुद ही टूट जायेगा
उम्मीदों का आंचल जो थामोगे,
नाकामियों का साथ खुद ही छूट जायेगा ,

हर लम्हे मे वो रोशनी खोजो,
जो आशाओं की परछाई दे ,
इरादों की आवाजें ऊंची हो इतनी,
गूंज आस्मां तक सुनाई दे ,

तोड़ दो बन्दिशों की सलाखें
जो सामने खड़ी हैं,
आज़ादियों में  सांस लेने की
यही वो घड़ी है,

इंतज़ार है मुझे भी ख्वाहिशों की
बारिशों में भीग जाने का,
कुछ ख्वाबों , कुछ लम्हों,
कुछ एह्सासों को
फ़िर से जी जाने का!

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