Wednesday, March 4, 2015

ज़िद के पर्दे...

अपने ज़िद के पर्दों को
मेरी ख्वाहिशों की खिड़कियों से हटाओ,

मंज़िल की उम्मीद नहीं करता तुमसे, पर कुछ वक्त यूं ही राहों में तो साथ आओ !!

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