कभी किनारों से खौफ़ था मुझे,
पर आज तेरे ख्यालों के साहिलों
से नाता है मेरा,
कभी जुबां पर लाने
से कतराता था,
पर आज हर सांस
पर नाम है तेरा,
कभी मुझे तेरे लिये दो लफ़्ज़
भी ज़्यादा लगते थे,
पर आज तुझपर
किताब भी कम लगती है,
शायद ये तेरी सोहबत
का सुरूर है,
पर ग़म-ए-इश्क ये भी कि
तू मुझसे दूर है !!
No comments:
Post a Comment