ज़िक्र जो तेरा जब होता है,
मुस्कुराहटों का सावन
लबों से बरसता है,
तेरे संग ज़िंदगी में
इक मदहोशी सी
लगती है,
बिना तेरे खामोशी सी
रहती है,
हर जुस्तज़ू बिन तेरे
अधूरी है,
यादों में संग है
पर अभी भी दूरी है,
लम्हा वहीं थम जाता है..
मन तेरे ही खयालों में होता है,
ज़िक्र जो तेरा जब होता है !!
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