सोचता हूँ लिखुंगा तेरे
बारे में भी ऐ ज़िंदगी ,
संघर्षों की धूप में ,
सफलताओं की छांव में ,
असफल पीड़ा के रुप में ,
प्रयत्निक छाले भरे पांव में ,
सत्य स्वप्नों की अभिलाषा में ,
मानसिक शांति की पिपासा में ,
रम सा गया हूँ,
पर लिखुंगा तेरे बारे में भी.………
आशा के उजालों में ,
निराशा के अंधकार में ,
मंज़िलों के लंबे रस्तों में ,
उम्मीदों से लदे बस्तों में ,
कर्तव्यों की तल्लीनता में ,
काल की विहीनता में,
थम सा गया हूँ ,
पर सोचता हूँ, एक दिन
लिखुंगा तेरे
बारे में भी ऐ ज़िंदगी !!
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