ज़िंदगी का दरिया ये जो
बहता है,
अक्सर ही मुझसे कुछ
कहता है,
इसके लफज़ों में कुछ
खास है,
अपनेपन का वो हसीं
एहसास है,
तन्हाइयों की लहरें जब
इन पर आती हैं,
जज़्बातों को अपने संग
बहा ले जाती हैं,
उम्मीदों की आवाज़ें जब
साहिलों तक जाती है,
उन बातों , एह्सासों को
गहराई तक पहुंचाती है,
सपनों की रौशनी दरिये
पर जो पड़ती है ,
झिल्मिलाहट और चमक
उसकी और बढ़ती है,
मेरे इरादों के पत्थर अब
टूट जाये
ये मुमकिन नहीं लगता,
दरिया ये चन्द नाकामियों
से सूख जाये
अब मुमकिन नहीं लगता ।।
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