अपने ज़िद के पर्दों को मेरी ख्वाहिशों की खिड़कियों से हटाओ,
मंज़िल की उम्मीद नहीं करता तुमसे, पर कुछ वक्त यूं ही राहों में तो साथ आओ !!
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